अपनी # 501वीं # रचना के माध्यम से नवर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं।आप सभी के जीवन में नित्य मंगल एवं आनंद की कृपा होती रहे।
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"श्रीराम -श्रीकृष्ण" जग में सुन्दर दो नाम
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श्री कृष्ण बह्म हैं जैसे सृष्टि के,श्रीराम भी तो समरूप ब्रह्म हैं।
भेद नहीं जरा दोनों में,हाँ कथन को बस नाम-रूप विलग हैं।।
जो कहो श्रीकृष्ण षोडशकला,परिपूर्ण परम दिव्यपुरुष हैं।
तो श्रीराम युगानुरूप,स्वतः रखते बस संकुल कलारूप हैं।।
श्रीकृष्ण जो प्रेम-रूप,धर्म-ग्लानि से समस्त संसार को उबारते हैं।
श्रीराम स्नेह-रूप वहीं,जगत को सिखाते पाठ मर्यादा का हैं ।।
गोचर-अगोचर दोनों ही,निर्मल नील"नलिन"कांति बिखेरते हैं।
तारकेश्वर पूजते सदा इन्हें जिनको वो मानते अपना इष्ट देव हैं।।
श्रीराम,दिवाकर के समस्त तेजपुंज को,धरा पर लेकर होते अवतरित हैं।
वहीं श्रीकृष्ण,रहस्यमई घटाटोप मध्य-यामिनी,चंद्रवंश अवतंस* हैं।।*मुकुट/श्रेष्ठ
श्रीकृष्ण अधर-सज्ज,वंशी सुनाती सुधा रसभरे नित्य गीत है।।
श्रीराम की वैखरी* वहीं,हृदय वीणा को बार-बार छेड़, जाती है।।*वाणी की शक्ति
पीतांबरी ही दोनों को प्रिय,जो मृदुल नील-देह,फबती खूब है।
हृदय-द्वय नवनीत,भक्त करुण-पुकार,पिघलता निमिष मात्र है।।
@नलिन#तारकेश
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