लो तुम भी हो गए बेगाने,चलो कोई बात नहीं। हैं सब वक्त वक्त की बातें,चलो कोई बात नहीं।।
वो बचपन के वादे और खट्टी मीठी यादें।
भूल गए तुम तो सभी वो,चलो कोई बात नहीं।।
दौलत शौहरत क्या कुछ ना बटोरा कसम से तुमने।
पगडंडी घर की उदास मगर,चलो कोई बात नहीं।।
दुश्मनों के भी लेते हैं हाल-चाल लोग गाहे-बगाहे।
वो भी मगर बन ना सके तेरे हम,चलो कोई बात नहीं।।
बातें ऊंची-ऊंची आकाश को चूमती मगर खोखली।
बेसहारा बना छोड़ दिया हमें,चलो कोई बात नहीं।।
दौड़ती-भागती जिंदगी दो पल तो हॅस के
बतियाते।
फुर्सत नहीं निकाल पा रहे तो,चलो कोई बात नहीं।।
खुश रहे हर हाल और आबाद रहे जहाॅ कहीं भी तू रहे।
तेरी मेरी बन ना पाई इस जनम,चलो कोई बात नहीं।।
जाने कहां-कहां से आते हैं लोग कई
कदमबोसी के वास्ते।
घर में ही"उस्ताद"पहचान ना सका कोई, चलो कोई बात नहीं।।
@नलिन #उस्ताद
Nice one sir...
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