कहते हैं तो कहें लोग ये शख्स तो तन्हा है। भीतर जब मेरे कायनात ये कहाॅ तन्हा है।।
कहना तो बहुत है मुझे तुझसे यारब ।
बता ये क्या तेरा भी दिल तन्हा है।।
उदास,स्याह रातों में ही नहीं केवल।
छलकते जाम में भी ये मन तो तन्हा है।।
चांद,सितारे,बादल सब साथ हैं यूॅ तो ।
भीतर मगर देखो सब के सब तन्हा है।
दूर की कौड़ी तभी उसे है सूझती।
जब वो रहता कुछ देर को तन्हा है ।।
शख्सियत,तालीम हैं सब आला किस्म की ।
ढूंढोगे शऊर तो वो शख्स तन्हा है।।
दिन-रात के फासले तो होंगे तुम्हारे लिए।
अपने ही आप से"उस्ताद"तो ये तन्हा है।।
@नलिन #उस्ताद
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