तेरी आँखों में आज शरारत कुछ तो है।
ये ओढ़ी हुई गजब शराफत कुछ तो है।।
अब ज्यादा क्या कहें सब तो हैं जानते।
खबरें यही बतातीं कयामत कुछ तो है।।
प्यार का इजहार उसने सरेआम किया।
इसमें कहो कहाँ भला गलत कुछ तो है।।
वो मुझे भुला कर अब हिचकियाँ दे रहा।
देर ही में सही उसमें नदामत* कुछ तो है।।*पश्चाताप
न गले ही लगाया मुझे न बात करी कुछ भी।
मगर फेरी नहीं पीठ सो रवायत* कुछ तो है।।*परम्परा
यूँ तो याद आता नहीं "उस्ताद" कुछ भी वक्त पर।
पर चल ये तेरा नाम न भूलने की आदत कुछ तो है।।
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