Saturday 31 December 2022

498:ग़ज़ल: उम्मीद ए रोशनी

तोहफा मेरे नए साल भला क्या तुझे दूँ।
सोचता हूँ एक अदद कोरी ग़ज़ल दे दूँ।।

झूमती,बलखाती,मौज-मस्ती की अदाएं भरी। 
सुहाने मुस्तकबिल कि आज मैं दुआएं तुझे दूं।।

यूँ तो यहां सब कुछ है फानी ओस की बूंद सा।
है मगर जब तक साँस चल रही तराने नये दूँ।।

सूरज,चांद,सितारे कुदरत के अनमोल नजारे।
सदा हर कदम इनको दामन में लुटा तेरे दूँ।।

जाने क्यों "उस्ताद" यहाँ हर चेहरे पर उदासी बिखरी है।
दिलों में उम्मीद ए रोशनी के चलो जला चिराग सबके दूँ।। 

नलिनतारकेश @उस्ताद 

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