हर रंग जिंदगी का ग़ज़ल में हमने अपनी ढाला है।
जिया नहीं चाहे खुद से पर यकीं सबको दिलाया है।।
तूफ़ान हो,बारिश हो या बर्फबारी हो तो भी हर हाल।
हौंसला हमारे जवानों ने हर वक्त बखूबी दिखाया है।।
अमावस की रात में बन कर पूनम तुम जो मुस्कुरा दिए।
चांद के जज्बात को तुमने क्या खूब और भी उभारा है।।
रोशनी के फव्वारे दामन में हैं अपने अक्सर सुना तो है।
हाथ में कोहिनूर बमुश्किल ये कभी किसी के आया है।।
गुस्ताखियां ए ग़ज़ल-गो हद से गुजर न जाएं तू देखना। अभी "उस्ताद" को ख्वाबों में ही सही जन्नत भी जाना है।।
धन्यवाद मामा। बहुत सुंदर gajal
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