हर इंच पैमाइश पर क्या रिश्तो की नींव डालोगे।
खुदा कसम ऐसे तो कहाँ तुम साथ निभा पाओगे।।
समझौते इसलिए नहीं कि तुम कमतर हो या कभी हम। तराजू के दोनों पलड़े हर तौल बाद बराबर तो लाओगे?।।
हर बात मुकाबला ये सिफ़त तो ठीक नहीं यारब।
ऐसे तो तुम हर बार गांठ और भी बढ़ाते जाओगे।।
बाल की खाल निकालने में भला जोर क्यों है तुम्हारा।
अभी का होश है नहीं आने वाला कल क्या संवारोगे।।
"उस्ताद" हर शै तुम्हारी गुलाम नहीं इतना जान लो।
अब सच कहो क्या खुदा से भी तुम न खौफ खाओगे।।
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