दर्द,अवसाद से हों गर आप बोझिल तो यूँ कीजिए।
पसंदीदा दिल को छूते किसी गीत पर झूम लीजिए।।
लोगों का क्या वो तो हैं हकीम लुकमान के भी बाप।
सुन के नुस्खों को उनके कानों से अपने दफा करिए।।
मुकद्दर के सिकंदर खुद आप ही हैं,इसमें शुबहा कैसा।
हां गर यकीं न हो तो जाकर खुद को आईने में देखिए।।
कैसे-कैसे भँवरों से निकाली हैं इसी आदम ने कश्तियां।
इतिहास के पन्नों को जरा इत्मिनान से जाकर टटोलिए।।
है "उस्ताद" तिलिस्म सा गढ़ा जो दिखता कहीं-कहीं।
सहरा में उसे खूं-पसीने की दरिया के बदौलत जानिए।।
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