इनायत,करम जो हम पर उनका हो गया।
अंदाज ए बयां सबका बदला सा हो गया।।
खाद,हवा,पानी से जो हमने उन्हें महरूम* रखा।*वंचित
हाल यूँ ही नहीं अपने रिश्तों का बेजा* हो गया।।*ग़लत
सफर में जिंदगी के तुम भी हो हम भी हैं।
नफा,नुकसान कुछ तो होना था,हो गया।।
दिल की सदा* होती तो है कबूल आज नहीं तो कल।*आवाज
चलो खुदा का शुक्र हक में जल्द ही फैसला हो गया।।
"उस्ताद" बोझ लेकर न उतारो अपनी कश्ती दरिया में।
फिर न कहना दिलों के बीच भला कैसे हादसा हो गया।।
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