नववर्ष की पदचाप,अब सबको,स्पष्ट सुनाई दे रही।
बस दो कदम,दहलीज पर शान से,नूपुर बजा रही।।
सो मन-मयूर,अह्लादित हुआ,बड़ा आज सबका अभी से।
आस भरी सुनहरी उम्मीदें,कलरव सी,अंगड़ाईयां ले रही।।
उत्साह,उल्लास,उमंग से सजावट होती प्रत्येक द्वार-द्वार।
चटक इंद्रधनुषी रंगोली,हर जगह रोशनी सी है,चमक रही।
नव-संकल्प,नव-ऊर्जा की नव-तरंग हवा में मकरन्द सी।
कल्पना की ऊंची उड़ान का सन्देश हर-सांस में भर रही।।
है करना अलबेला,सार्थक कुछ अब तो हमें नया निस्वार्थ।
जय-घोष स्वस्तिवाचन से ओतप्रोत प्रज्ञा ये सीख दे रही।।
@नलिन #तारकेश