संत की मुस्कान की बात ही कुछ और है
खिले गदराए गुलाब की बात ही कुछ और है।
सात्विक,सरल,सहज मुस्कान की बात ही कुछ और है
भोली,मृदुल,निश्छल मुस्कान की बात ही कुछ और है।
वो रोता हो,क्रोधित हो या पीड़ा में दिखता हो
पर देख सको तो देखो उसमें भी मुस्कान छिपी है।
हलके,मंद-मंद या ठहाके से अट्टहास तक
उसकी मुस्कान एक,हम सब पर भारी है।
जिस पर उसकी बांकी मुस्कान कटार पड़ी है
वो तो खो अपनी सुध-बुध बावली ही फिरती है।
No comments:
Post a Comment