पाक तो अपने जन्मकाल से ही नापाक राष्ट्र रहा है
जाने क्यों फिर भी भारत देता उसको भाव रहा है।
खेल,साहित्य,संगीत का बेवजह इससे संवाद रहा है
दरअसल ये तो लुच्चा बेगैरतों का सरताज़ रहा है।
आतंक की फसल उगाकर बेशर्मी का नंगा नाच किया है
नेस्तनाबूद कर दो इसको कहता भारत का लाल रहा है।
झूठ,मक्कारी,फरेब, का भी कहीं सीधा इलाज़ भला है
राजदूत बुला,लतिया भेजो इसका यही जवाब बचा है।
दूध पिला-पिला जो हमने सापों को अब तक पाला है
महाकाल रूप प्रचंड अब तो उन सबको दिखलाना है।
हुक्का-पानी बंद करो सब इनका,अब न हाथ मिलाना है
अक्ल न जब तक आये ठिकाने,तब तक सबक सीखना है।
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