रायबहादुर बहुत होते थे बिरतानि शासनकाल में
लेकिन पाए जाते हैं अब भी हिंदुस्तान की धरती में।
लूट-खसोट,छल-छद्म भरते जो अधिकारी के कानों में
अपना उल्लू सीधा करने,तिकडम करते हर हाल में।
जो सत्ता या इनका विरोधी हो,मार फेंकते कोने में
लाज-शरम कहाँ भरती है,इन बेपैंदे के लोटों में।
कोई मरे तो मरा करे,बला से इनके ठेंगे में
ये तो बस अपने गुन गाते या जो हों सरकार में।
दाने-दाने को हो मुहताज,मांगें भीख जो गलियों में
उनसे इन्हें नहीं वास्ता,ये तो मस्त जश्न मनाने में।
लेकिन जनता त्रस्त बहुत जो छुपे भेदी नर खालों में
मार-पीट और ठोक-बज कर लेगी बदला हर हाल में।
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