जय गजानन,जय गजानन प्रथम पूज्य आप हो
बुद्धि,बल,वाकचातुर्य में सबके सिरमौर आप हो।
आँख छोटी तुम्हारी,देखते कहाँ किसी के दोष हो
कान सूर्पकार तुम्हारे,छान ग्रहण करते सत्व हो।
उदर विशाल पचाने में समर्थ गरिष्ठ हर बात हो
पाश,अंकुश से सभी शत्रु दल जीतते आप हो।
मूषक सवारी प्रिय तुम्हारी,विघ्नहर्ता सर्वेश हो
स्थूल तन के बावजूद,तुम नाचते क्या खूब हो।
गणेश उत्सव नाम पर बांधते सभी जन एकसूत्र हो
धन-धान्य,सूत मंगल प्रदाता गणाध्यक्ष विशेष हो।
मोदक,तिल,दूर्वा,सुपारी होते प्रसन्न अतिशीघ्र हो
सरल,सहज स्वभाव युक्त तुम सदगुरु महान हो।
दया,प्रेम,सत्कर्म का जगत नित विस्तार हो
शीघ्र अब तुम्हारा "नलिन" हृदय भी वास हो।
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