यद्यपि हूँ मैं पातकी,तो भी छल-प्रपंच से।
हाथ जोड़ हूँ खड़ा,मुक्त होने के लिए।।
पूरी कायनात से विनम्र हो,सद्भाव से।
करता हूँ मैं प्रार्थना, स्नेह-प्यार के लिए।।
दुआ करें आप सभी मेरी खातिर रब से।
लायक बना ले वो मुझे,अपना होने के लिए।।
वर्ना यूँ कहाँ बच पाउँगा इन हालात से।
सो मदद करना सभी,मेरे जीवन के लिए।।
खुद पर यंकीन नहीं मुझे,एक बार से।
अनुनय तभी तो है आपसे,अपने लिए।।
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