श्री राम
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रविकुल नायक,दीप्तमान-मुखकांति,अमित सजी है।
पीत-झगुली,रेशम तन झीनी,कुंतलराशि घुंघराली है।।
रक्तवर्ण-तिलक,भाल-सुशोभित,अद्भुत छवि न्यारी है। कोटि-कोटि मनोज लजावत, रूपराशि प्रभु प्यारी है।। बांकी लीला देख के इनकी,माया भी सुध-बुध भूली है। शेष,शारदा पार न पाए,कीरती ऐसी अविरल बहती है।।
हृदय-विराजत,तारकेश-छवि पर,चरणाश्रित बलिहारी है।
निर्मल,नील-नयन सी मृदुल देह,आँखन सबके बसती है।।
जाने कितनी जनम-जनम की,साध ये पूरी आज हुयी है।
अब ना जाना कहीं छोड़ के,तुमसे बस अरदास यही है।।
@नलिन #तारकेश
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