जबसे लौ मेरी तुझसे लगने लगी है।
धड़कन इस दिल की बढने लगी है।।
लाख निकलूं चुपके जो तेरी गली से।
जोर से ढीठ पायल खनकने लगी है।।
इत्तर-फुलेल लगाने की जरूरत नहीं अब तो।
अहसास से तेरे रूह भी मेरी महकने लगी है।।
हर जगह तू ही तू अब है दिखता मुझे।
इश्क में खुमारी गजब ये चढने लगी है।।
क्या लिखूं,कैसे लिखूं जलवों को तेरे।
कलम भी "उस्ताद" बहकने लगी है।।
@नलिन#उस्ताद
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