दिल नहीं अपना ये तो एक गहरा सागर है। बेशुमार जिसमें हीरा,मोती,जवाहर है।।
आओ हम डूब कर इसमें देखें तो सही।
वरना तो इसने हाथ से जाना बिखर है।।
सांसें भी कब रही है मोहताज किसी की। आज हैं तो जी ले काहे कोई कसर है।।
कहने को यहां कोई किसी का रकीब* नहीं।
*शत्रु
पीठ पर मगर सबके दिखता घाव खंजर है।।
होंगी दुनिया में एक से एक नायाब शै*।*वस्तु/चीजें
हमें तो हर हाल प्यारा अपना घर है।।
दुनिया एक तमाशा जादू भरा लगता।
हर बड़ा "उस्ताद" भी जहां बेअसर है।।
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