रूह में उसे जो शामिल किया।
जिस्म कहां फिर दाखिल किया।।
दूर रहकर भी शिद्दत से चाहा।
यादों को उसकी ही मंजिल किया।।
हमें पता था कब प्यार का ककहरा।
उसने ही इसमें आलिम-फाजिल* किया।।
*विद्वान
ख्वाबे हकीकत एड़ी-चोटी लगा दी।
कौन कहता है प्यार ने काहिल किया।।
लगा दिया रोग अजब कैसा ये हमको।
खास सूची जो अपनी शामिल किया।।
बना जो "उस्ताद" नजरे नूर सबका।
इनायत खुदा की जो इस काबिल किया।।
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