पोपला मुंह चबाने को सब मचलने लगा।
अब बुड्ढा भी बच्चों से बढ़ थिरकने लगा।।
जुल्फों की तारीफ में पढता है कसीदे।
आए एक बाल खाने में तो उखड़ने लगा।।
दुनिया को देता है सीख बैराग की।
देखी कहीं नाज़नीन तो मचलने लगा।।
चलता हो पकड़ कर वो चाहे लाठी।
सफेद बालों में डाई रचने लगा।।
हिंदी से छत्तीस का आंकड़ा बना लिया।
नैन-मटक्का अंग्रेजी से करने लगा।
जंगल में आये हैं जब से अच्छे दिन।
मीटू से अब तो हर शेर डरने लगा।।
"उस्ताद"का हाल,हाथ कंगन क्या देखो।
चेलों से गुर उस्तादी के सीखने लगा।।
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