Tuesday 18 December 2018

गजल-54 जानता हूं जो लिखा

जानता हूं जो लिखा वो रेत पर लिखा।
सच है मगर जो लिखा उसकी नजर लिखा।।

हवाओं ने मुखबरी की मेरे इश्क की।
वरना तो एहतियातन सब छुपा कर लिखा।।

जुगनू भी खूब काम आया घुप अंधेरे में। किसने उसे पर कहो उजालों का चारागर* लिखा।।*डाक्टर

ता उमर जो अना* की खातिर अपनी जूझती रही।*स्वाभिमान
खुदा जाने क्यों सबने उसे अबला कातर लिखा।।

जर्रे-जर्रे में जब है उसकी  ही तस्वीर ।
वैसे तो भला फिर कहो क्या कुछ इतर लिखा।।

कायनात को सारी सजा दिया महज तसव्वुर* से।*कल्पना
"उस्ताद"उसे तभी तो दिल अजीज बाजीगर
लिखा।।

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