दिलों से दिल के दीप जलाते रहिए।
देव दीपावली हर दिन आप मनाते रहिए।।
राम की हस्ती तो कहा नाप सकेंगे हम-आप।
खुद को जरा-जरा उसके पासंग बनाते रहिए।।
बुतों को पूजना भी इबादत है तभी सच्ची। किरदार जब अपने पाकीजगी बढ़ाते रहिए।।
चैन की सांस ना लीजिए मार के संग शैतान पर।
शैतानी सोच पर सवाल खुद की भी उठाते रहिए ।।
माना जख्म गहरे लगे हैं वफा निभाने से।
बीती कड़वी बात पर हर-हाल भुलाते रहिए।।
मकड़ी के जाल की मानिन्द जकड़ लेगी दुनिया।
अपने "उस्ताद"-ए-हुनर से खुद को बचाते रहिए।।
@नलिन #उस्ताद
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