मुझे बहुत बार-बार समझाता दिल मेरा।
प्यार दरअसल बहुत बरसाता दिल मेरा।।
मौत से अक्सर मुठभेड़ को तैयार दिखता। कभी बेबात है मगर रूलाता दिल मेरा।।
जोश,जज्बा लिए फिरता कभी तो लोहे सा। कभी बन के ये पारा फिसल जाता दिल मेरा।
जाने किस चीज पर मचल जाए बच्चे सा। बड़ी मुश्किल से हूं समझाता दिल मेरा।।
गलत रास्तों का ही नहीं केवल मुन्तजिर*।
नूरे हक भी कभी जगमगाता दिल मेरा।।
*प्रतिक्षारत
कदमों में"उस्ताद"के जब-जब सजदा किया।
लगा बढ के वो गले महकाता दिल मेरा।।
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