ददॆ तो होते हैं हमें सबक सीखने को।
गलतियां जो करीं उन्हें बस सुधारने को।।
उनसे जो हम करने लगें हैं मोहब्बत।
गमे इंतहा की असल मौज देखने को।।
रास्ते जुदा-जुदा हैं तो चल यूं ही सही।
मिलना पर जरूर कभी हमसे झगड़ने को।।
बातों से निकाल ही लेते हैं बात कोई न कोई।
ढूंढते हैं मौका कुछ लोग जो अक्सर उलाहने को।।
अंगारों पर चलने की कोशिशें बचपना हैं।
झुलसती जिन्दगी बढो जब मायने भरने को।।
"उस्ताद" तुम भी कसम से ना,भोले हो बड़े।
पीते हो इतनी क्यों महज गजल लिखने को।।
@नलिन #उस्ताद
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