इशारों-इशारों में सारी वो तो बात करते हैं।
कभी अदा तो कभी हमको निगाहों से मारते हैं।।
हम भी हो चुके हैं उनके अब तो बड़े मुरीद।
हर जगह अब तो बस उनको ही देखते हैं।।
प्यार करता कहां कोई ये तो है हो जाता।
पुराने जन्मों के भी तो कुछ हिसाब रहते हैं।।
करो प्यार तो कतई ना डरो जमाने भर से।
खुदा भी हकीकी* प्यार की इबादत करते हैं।।*सच्चे
जाने कितना कहा गया और कहा जायेगा मुद्दतों।
मायने भला प्यार के कहां कर हम बखान सकते हैं।।
ता उम्र कुछ है जो अधूरेपन का दिलाता अहसास।
तलाश में जिसकी जिस्म दर जिस्म हम युगों भटकते हैं।।
वो जैसा है उसे बस वैसा ही अपना लो।
"उस्ताद"प्यार में नहीं गणित के नियम चलते हैं।।
@नलिन #उस्ताद
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