आंख से अपनी छलकते हैं तो छलकने दो तुम ये नायाब मोती।
किस्मत के हो धनी तुम,तो मस्त बेपरवाह लुटाओ सदा मोती।।
उससे इश्क किया है तो रेगिस्तान का सफर है लाजिम जिंदगी।
हर कदम दर कदम उठा चलना भी इम्तिहान है ये जिंदगी।।
दिल में हो प्यार,होठों पर रहे हंसी-सुकून का तृप्त जाम।
माहौल कैसा भी हो आस-पास, खाली ना रहे तेरा जाम।।
आकाश हो या पाताल कहीं ना कहीं तो तुझे मिलेगा जीवन का आधार।
साकार या निराकार वो तो है सर्वत्र व्याप्त जो बना जगत का आधार।।
देह तो है मात्र स्थूल एक लिहाफ रखता है जो हमको बांध बार बार।
म्यान के भीतर रखी तलवार निकाल परंतु देखनी तो होगी एक बार।।
सप्तलोक के चक्र द्वार भेद कर पाना होगा हमें नव वितान।
आनंद और बस आनंद का जहां होता नित्य भान ऐसा वितान।।
@नलिन#तारकेश
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