वो देखो नशे में चूर खय्याम आ रहे।
मिली उससे नजरें तो बेलगाम आ रहे।।
बिस्तर की सलवटो अभी इंतजार करो।
हमें तो इंकलाब के पैगाम आ रहे।।
सलवटें चेहरे पर अब भला कहां रहेंगी।
बहारों के जबसे देखो भरे जाम आ रहे।।
बजा है जब से चुनावी बिगुल महासंग्राम का। लेकर लाव लश्कर बड़के नेता तमाम आ रहे।।
किसी की किस्मत बदलने की जब वो हैसियत पा गए।
यार तो छोड़िए दुश्मनों के भी सलाम आ रहे।।
अजब सी मची है सारी दुनिया में अफरा-तफरी।
खुदा जाने हम जिंदगी के कौन मुकाम आ रहे।।
खून बहा जिन्होंने बदला मुस्तकबिल हमारा।
शेरदिल सिपाही हमारे वो गुमनाम आ रहे।।
उखड़ती सांसें महफिल की रवां हो गईं।
जब सुना पढ़ने"उस्ताद"कलाम आ रहे।।
@नलिन #उस्ताद
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