शरद रितु,निरभ्र नीले आकाश में पूनम वाली अलबेली रात।
चन्द्रदेव दूधिया ज्योत्सना संग अपनी विचरते सारी रात।।
यामिनी पुलकित अति उत्साह से सराबोर दिखती आज।
ज्ञात है उसे वषॆ में एक बार बरसता है मात्र अमृत आज।।
यूं तो नवल ब्रजकिशोर हमारे,प्रतिदिन करते नृत्य और गान।
आज पर इस दिन विशेष उल्लासित हो,करते नृत्य और गान।।
सम्पूणॆ रात्रि होता रहता मदिर हास्य,विनोद और किलोल।
स्वरलहरी ताल,मृदंगऔर पखावज की करती मस्त किलोल।।
राधा,विशाखा एवं ले अन्य समस्त गोपबाला को अपने संग।
नृत्य करते प्रभु महारास,छनकती पायल सब की संग-संग।।
भूल जाते स्वयं की सुधि सब आनन्द होता फिर तो यत्र-तत्र-सवॆत्र।
परमानन्द में निमग्न,बरसता सुधा-रस तीन लोक में यत्र-तत्र-सवॆत्र।।
पाता मगर ये दुलॆभ अमृत रसपान का सौभाग्य केवल वो ही जन।
भक्तिरस आकंठ डूब बनाया जिसने अपना उर-वृंदावन वो ही जन।।
@नलिन #तारकेश
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