Monday 28 May 2018

हर रोज

सूरज की तरह जलता रहा हूं हर रोज।
बाॅटता रहा मगर मैं रौशनी हर रोज।।

हार कर भी हार कहां मानता हूं।
देता हूं खुद को दिलासा हर रोज।।

भूल गया गिनती याद नहीं अब तो।
ज़ख्म इतने मिले हैं मुझे हर रोज।।

बढ़ते कद से उसके खिसियानी बिल्ली बने हैं सब।
अंगूर है खट्टा कह बार-बार कोस रहे हर रोज।।

लहरों की तरह चट्टानों पर पटका है सिर कई बार।
रास्ता मिला है मुझे तब कहीं जाकर सपाट हर रोज।।

जाने वो भला करता है क्यों रहम-ओ- करम इतना।
हैरान यही सोच करता रहा उसे सजदा हर रोज।।

लो ऑखिर आ ही गए अपने शहर आज तो।
आ रहा याद-ए-वतन तेरा मगर हर रोज।।

लखनऊ की शाम में फ्रांस की रंगीनियत घोलकर।
होगी"उस्ताद"अब तो सुबह-शाम चीयसॆ हर रोज।।

@नलिन #उस्ताद

मरने से पहले

खुदा का शुक्र देख ली जन्नत मरने से पहले। अरमान हुए पूरे दिल के सब मरने से पहले।।

उसको चाहा तो बहुत था मगर रहा वो बेवफा।
सो चाहत यही ना मिलूॅ उससे मरने से पहले।।

गंगा जमुना में बह गया पानी तबसे न जाने कितना।
उसे याद आई तो बस कुछ देर मेरे मरने से पहले।।

दोस्ती,नफरत,चाहत,प्यार और वायदे दुनिया भर के।
छोड़ मुगलाते सभी जी लो खुली सांस मरने से पहले।।

यूं तो सफ़र में दिखते सभी हैं साथ इस जिंदगी के मेले में।
कुछ निभायेंगे साथ तो कुछ भुला देंगे तुझे मरने से पहले।।

"उस्ताद"हो माना मगर नादान तो ना रहा करो अब।
चलन जमाने का कुछ सीख लो अपने मरने से पहले।।

@नलिन #उस्ताद

Saturday 26 May 2018

फ्रांस से अभिभूत -2

ख्वाबों को भी है रश्क हो रहा हकीकत के रंग देख कर ।
काटते खुद को चुटकियाॅ गजब के फैले अजूबे देखकर।
मिजाज-ए-मुल्क से मेरे जमीं आसमां का यहां फासला।
होगा ना कौन भला मदहोश नजारा यहां का देखकर।।

खुशगवार मौसम,हसीन चेहरे मुस्कुराते मिलते।
जोश-ए-जज्बात तो भर जाता है बस यही देखकर।।

एक ताजगी अलग है खुशबू सी बिखरी चारों तरफ।
मचल रहा है दिल-ए-नादां आलम यहां का देखकर।।

सुर्खाब के पर"उस्ताद"जान रहा उगते हैं कैसे।
इनायत बेहिसाब बरसती खुद पर खुदा की  देख कर।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday 16 May 2018

नजारे फ्रांस के

ये हंसी वादियां गजब के नजारे फ्रांस के।
शरमा रही है अमरावती*,आगे फ्रांस के।
*(इन्द्र की राजधानी)

यकीं तो नहीं था वीजा दोबारा रिजेक्ट होने के चलते।
खुदा के फजल से बुला लिया हमें मेयर ने खुद फ्रांस के।।

यूं तो उसने दिया था कभी संकेत मेरी पहली ही ग़ज़ल में।
पर सपना सा लग रहा अब तलक घूमना शहरों में फ्रांस के।।

हल्की-हल्की बरसात कर रही थी खैरमकदम हमारा।
दिखी हर तरफ रास्ते में हरियाली गजब की फ्रांस के।।

मंदिर की घंटी सी गूंजती है चीयसॆ की हर घड़ी आवाज।
नदी शराब की इठलाती बहे हर गली कूचे में फ्रांस के।।

आफताब*भी नशे में है तो उसे होश कहां होगा भला।*(सूरज)
डोलता है सुबह से रात देर तक गलियों में फ्रांस के।।(सूयॆ देर रात अस्त होता है)

"मुज्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम"* जर्रा-जर्रा बिखरा है यहां।*(भोग विलास के बेहतरीन उदाहरण)
पशोपेश पड़ा"उस्ताद"लिखे कितने जलवे फ्रांस के।।

@नलिन #उस्ताद
  

Poem which come true

This poem I addressed to my niece Poshita when she was forcing me to join her in France for big event.and visa was cancelled.

कतई शौक नहीं है आने का तेरे शहर में।
तू है वरना तो कुछ खास नहीं तेरे शहर में।।

होंगी मानता हूं बुलंद इमारतें और चमचमाती सड़कें।
देगा ना मगर कोई सुकून मुझे भीतर से तेरे शहर में।।

माना घर है जहां मेरा वहां बेवजह की मशक्कत हजार हैं।
लेकिन जानता हूं गुजारा नहीं आरामतलब तेरे शहर में।।

अपने शहर में चुपचाप भी रहूं तो काम चल जाएगा।
बोलूंगा भी तो कौन समझेगा मुझे तेरे शहर में।।

होने शामिल कोर्ट मैरिज में तेरी और प्रिंस चार्ल्स की।
आऊंगा ये वादा है सपने या हकीकत में तेरे शहर में।।

ठेंगे में जाए तेरा शहर और उसका वीजा परवाह नहीं।
यूॅ पहचान के"उस्ताद"को खुद मेयर बुलाएगा तेरे शहर में।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday 9 May 2018

गिद्ध ही मंडरा रहे

कबूतर कहां अब कहीं भी नजर आ रहे। चारों तरफ तो अब गिद्ध ही मंडरा रहे।।

सांप और नेवले में हो गई दोस्ती।
रंगे सियार सब गंगा नहा कर आ रहे।।

अजब मजाक हो रहा अब तो आम जनता के साथ।
साईकिल स्टैंड वाले मरसिडीज में आ रहे।।

हाथों में पहन कर बघनखे खुलेआम अब तो। दस्त-ए-पाक मिलाने वो बहुत करीब आ रहे।।

दूर करने सियासत की गंदगी जो झाड़ू लाए थे।
स्याह चेहरे छुपाते अब तो वो ही नजर आ रहे।।

होने लगा खैरमकदम महफिल में हर तरफ।  सुनाने जो नई ग़ज़ल अब"उस्ताद"आ रहे।।

@नलिन #उस्ताद

Friday 4 May 2018

तेरी झूठी तसल्ली भी काफी है मेरे लिए

तेरी झूठी तसल्ली भी काफी है मेरे लिए।
देख यूॅ तो खड़े ही हैं गम ले हार मेरे लिए।।

मेरा लिखा हरफ(शब्द)पढ़ता तो है वो बहुत गौर से।
मगर जाने क्यों कभी कहता नहीं कुछ भी मेरे लिए।।

कह के तो चला गया वो बहुत कुछ अजब अपनी मौज में।
खुदा ही जानता है वक्त मुश्किल था कितना मेरे लिए।।

अजीबोगरीब हालात भी क्या खूब जिंदगी में बने।
खुशी का तराना भी भर गया आंख में आंसू मेरे लिए।।

महज एक सीढी की तरह इस्तेमाल करता है मुझे वो तो।
सच कहूं तो वजूद मेरा चाहा ही कहाॅ उसने मेरे लिए।।

किसी न किसी हुनर से यहां सभी को है उसने बख्शा हुआ।
बतौर"उस्ताद"कबूल है तभी तो हर शख्स मुझे मेरे लिए।।

@नलिन #उस्ताद

दिल तन्हा है

कहते हैं तो कहें लोग ये शख्स तो तन्हा है। भीतर जब मेरे कायनात ये कहाॅ तन्हा है।।

कहना तो बहुत है मुझे तुझसे यारब ।
बता ये क्या तेरा भी दिल तन्हा है।।

उदास,स्याह रातों में ही नहीं केवल।
छलकते जाम में भी ये मन तो तन्हा है।।

चांद,सितारे,बादल सब साथ हैं यूॅ तो ।
भीतर मगर देखो सब के सब तन्हा है।

दूर की कौड़ी तभी उसे है सूझती।
जब वो रहता कुछ देर को तन्हा है ।।

शख्सियत,तालीम हैं सब आला किस्म की ।
ढूंढोगे शऊर तो वो शख्स तन्हा है।।

दिन-रात के फासले तो होंगे तुम्हारे लिए।
अपने ही आप से"उस्ताद"तो ये तन्हा है।।

@नलिन #उस्ताद

Thursday 3 May 2018

खुदा बनाना चाहता है

वह मुझको खुदा बनाना चाहता है।
नाजायज हर माॅग पूरी चाहता है।।

निभा कर मुझ से पुरजोर बेवफाई ।
बदले में वो बस प्यार चाहता है।।

उसकी सादगी ही एक कसूर बन गई।
जो देखो उल्लू बनाना चाहता है।।

चाहत बहुत है सिरमौर हो गुलशन हमारा। करना मगर मेहनत यहाॅ कौन चाहता है।।

बहुत दूर आ गए अब तो सफ़र में मगर। लौटना वापस भला कौन चाहता है।।

तपा-तपा कर खूब ढालता है शागिर्द को। दिल से तो"उस्ताद"उस का भला चाहता है।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday 2 May 2018

जब कभी भी नाम •••••लिया तेरा

जब कभी भी नाम हमने ले लिया तेरा।
एक अजब नशा रूह में घोल लिया तेरा।।

बहुत दूर की क्या बात कहूं कल का है वाकया।
खुशबू से मैं आप ही सराबोर हो लिया तेरा।।

आंखों ही आंखों में न जाने कितनी बात हुई। चेहरा प्यार से गजब गुलजार हो गया तेरा।।

कूचा-कूचा गीत गुनगुनाने लगा।
साथ जब से मुझको मिल गया तेरा।।

तूने मुझे चाहा ये है तेरी इनायत।
इस बात का तो मुरीद मैं हो गया तेरा।।

छत पर बरस गया कड़ी धूप में भी बादल। दिल ने जब कभी"उस्ताद"नाम लिया तेरा।।

@नलिन #उस्ताद

Tuesday 1 May 2018

चलो कोई बात नहीं

लो तुम भी हो गए बेगाने,चलो कोई बात नहीं। हैं सब वक्त वक्त की बातें,चलो कोई बात नहीं।।

वो बचपन के वादे और खट्टी मीठी यादें।
भूल गए तुम तो सभी वो,चलो कोई बात नहीं।।

दौलत शौहरत क्या कुछ ना बटोरा कसम से तुमने।
पगडंडी घर की उदास मगर,चलो कोई बात नहीं।।

दुश्मनों के भी लेते हैं हाल-चाल लोग गाहे-बगाहे।
वो भी मगर बन ना सके तेरे हम,चलो कोई बात नहीं।।

बातें ऊंची-ऊंची आकाश को चूमती मगर खोखली।
बेसहारा बना छोड़ दिया हमें,चलो कोई बात नहीं।।

दौड़ती-भागती जिंदगी दो पल तो हॅस के
बतियाते।
फुर्सत नहीं निकाल पा रहे तो,चलो कोई बात नहीं।।

खुश रहे हर हाल और आबाद रहे जहाॅ कहीं भी तू रहे।
तेरी मेरी बन ना पाई इस जनम,चलो कोई बात नहीं।।

जाने कहां-कहां से आते हैं लोग कई
कदमबोसी के वास्ते।
घर में ही"उस्ताद"पहचान ना सका कोई, चलो कोई बात नहीं।।

@नलिन #उस्ताद