देह मन महकने लगे मेरे ।
उनसे जब नैन लगे मेरे।।
प्रीत का रंग कुछ ऐसा बहा।
पंख फड़फड़ाने लगे मेरे।।
दूरियों की मुश्किलें कहां गिनीं।
हौसले नभ चूमने लगे मेरे।।
मिलेंगे कभी तो क्या कहूंगा।
सोच यही पड़ने लगे मेरे।।
हर तरफ उनके नाम की धूम है।
साथ तभी भाव बढ़ने लगे मेरे।।
तुम भी रहो "उस्ताद" राम के भरोसे।
काम होंगे जैसे होने लगे मेरे।।
@नलिन #उस्ताद
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