हर कोई मिलता है जो भी,तो पूछता है अच्छे हैं?
हम भी दर्द बताते नहीं,बस कहते हैं जी अच्छे हैं।
जरूर कुछ इल्जाम लगाते हैं,दिन अच्छे तो आए ही नहीं।
मानते हैं मगर आम जन,पहले से दिन लाख अच्छे हैं।।
जिधर भी देखो हर जगह घोटालों में मिलता हाथ तुम्हारा है।
अंगूर खाने को नहीं मिलते तो ठीक है कहां से दिन अच्छे हैं।।
माना कि वो गलत होगा कहीं कुछ एक जगह पर।
बात-बात कोसना,दिल से बता तेरे मिजाज अच्छे हैं?
यूॅ तो खुदा भी भला कब कहो खुश कर सका सबको।
"उस्ताद"दिल में हो सुकून तो सब दिन अच्छे हैं।।
@नलिन #उस्ताद।
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