रंगों भरी एकादशी झूम कर आ गई।
लो प्रकृति पुरुष को लुभाने आ गई।।
इंद्रधनुषी रंगों की अनोखी छटा से।
मुबारक हो होली पुकार आ गई।।
लिये हाथ पिचकारी बाल गोपाल सभी। झूमती खिलखिलाती टोलियाॅ आ गई।।
हर तरफ अनोखा एक समाॅ बंध गया।मदमस्त पांव में घुंघरू की थाप आ गई।।
बनी हर गली वृंदावन धाम जो।
आंखन छवि युगल सरकार आ गई।।
है रंगीन मिजाज कुछ हमारा कुमाॅऊ।
पूष इतवार से तभी होली आ गई।।
अबीर गुलाल मल बोज्यू* के गालन।*भाभी
लल्ला की आंखन चमक आ गई।
हर कोई रंग के नशे में चूर दिख रहा।
बिन पिए "उस्ताद"हमें तो झूम आ गई।।
@ नलिन #उस्ताद
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