सदगुरु नाम तुम्हारा साईं
लगता सबको प्यारा।
मन से इस नाम को लेकर
हर कोई सब कुछ पाता।
जब भी हमने तुम्हें पुकारा
तू दौड़ा-दौड़ा है आया।
श्रद्धा-सबूरी करता जो प्राणी
वो तो बस तेरा ही हो जाता।
दुनिया के विषम जाल से
तू ही सदा हमें बचाता।
हर प्राणी में तू ही रहता
ऐसा हमको सदा बताता।
जाति-धर्म की तोड़ दीवारें
मानव-प्रेम सिखाता।
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