संत प्रवर तुलसीदास जी का जन्म श्रावण शुक्ला सप्तमी अर्थात आज के दिन संवत 1554 को हुआ था। राम जी के श्रीचरणों में अटूट आस्था ने उनके जीवन को कृत-कृत्य कर दिया।
सो उनको विनम्र श्रद्धा -सुमन
सो उनको विनम्र श्रद्धा -सुमन
शिव-मानस सदा रहा है इनका शुभ आगार।।
जगढ्गुरु ने उसी तत्व का लेकर फिर आधार।
रचा राम पुरुषोत्तम का निर्मल चरित अपार।।
शिवशंकर के वरद-हस्त का पाकर आशीर्वाद।
किया श्रवण "तुलसी"ने उर में रामकथा संवाद।।
भाव-समाधि में किया झूम-झूम कर गान।
रामचरितमानस से उपजा,सब जन कल्याण।।
मंत्रबद्ध हैं रचना सारी सबका है ऐसा विश्वास।
पढ़ना,सुनना भरता अन्तरमन में बड़ी मिठास।।
राम नाम के भक्त अनूठे,संत सरल तुम जग-विख्यात।
भक्ति देकर सीय-राम की,"नलिनदास" को करो सनात।।
Dashrath nandan raghvendra sriram ke sri charno me is bhaktidhara ko prnam.
ReplyDeleteराम की महिमा बड़ी न्यारी है. जिसने भी उनका नाम लिया वह तर गया. हमें भी तारो प्रभु राम !
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