क्या खूब रचा अदभुत किरदार
प्राण साहब,चाचा चौधरी को।
और भला कहाँ सीमित बच्चों तक
मन भाया हर किरदार,हर उम्र को।
बचपन में हमारे "प्राण"निहारते
पिंकी,साबू,बिल्लू से किरदार को।
बस एकमात्र इन ढेर सी कॉमिक्स को।
कभी दोस्त से बचा खटिया के नीचे,फर्श पर
तो पढ़ते कभी साथ,बंद कर स्टोर रूम को।
वो यादें,वो चित्र सारे हमारे बालपन के
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