राष्ट्र का हमारे आजकल,भव्य निर्माणाध्याय,प्रारंभ किया जा रहा।
अतीत के स्वर्णिम पृष्ठों का विवेकवान,पुनर्जागरण किया जा रहा।।
दृष्टिगोचर हुआ,नव-चेतना की सुरमई सुगंध का,विस्तार दसों दिशा।
दृढ़ संकल्प,उत्साह,उल्लास से भरपूर सुगठित नेतृत्व किया जा रहा।।
संपूर्ण विश्व में अब हमारे अद्भुत जीवट की,हो रही पुरजोर चर्चा।
जगद्गुरु बनने का पुनः से एकबारगी,सद्प्रयास किया जा रहा।।
समुन्द्र की अतल गहराई हो या अंतरिक्ष की अबूझ ऊंचाईयां।
अद्यतन प्रौद्योगिकी संग हर दिशा,अनुसंधान किया जा रहा।
सुरक्षा जवान हों या कामगार हों अथवा कि हमारे किसान अन्नदाता।
जिनके परिश्रम ने बनाया हमें खुशहाल,उनका सम्मान किया जा रहा।।
भारत की हमारी महिला शक्ति और इंद्रधनुषी स्वप्न युवाओं का।
संग साथ लेकर सभी का,जमीन पर स्वर्ग साकार किया जा रहा।।
अमृत महोत्सव का यह विशिष्ट कालखंड,जो सौभाग्य से हमें मिला।
एड़ी-चोटी का लगाकर जोर,अप्रतिम कायाकल्प किया जा रहा।।
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