सावन के झूले लगे बारिश भी हो रही।
गुल खिलाने को देखिए जल्दी हो रही।।
ऊंची पेंगें भरने को खुले आसमान में।
लो निगाहों से बतियां रसभरी हो रही।।
जुल्फें छाईं बादलों सी काली,घनी।
रूह को भिगोने की तैयारी हो रही।।
सुरों की महफिल सजती जब भी तू मुस्कुराए।
चर्चा में ये बात खासोआम अब बड़ी हो रही।।
"उस्ताद" का भी रहा है यूँ तो मिज़ाज आशिकाना।
फर्क बस इतना,चाहतें तेरी सिमट दुनियावी हो रही।।
नलिनतारकेश @उस्ताद
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