भगत शिरोमणि सन्त
तुलसीदास जी महाराज को उनके पावन-पुनीत जन्म दिवस पर "आजादी के अमृत महोत्सव" पर सादर काव्यांजलि समर्पित है।आपकी एक कालजयी रचना "श्रीरामचरितमानस" जी ने भारत के जन-जन में "पराधीन सपनें सुख नाहीं" का जो अप्रतिम अमूल्य योगदान भरा उसका स्मरण अभिनन्दन करते हुए।
🙏🥰🚩जय श्रीराम।। जय हनुमान।।
राष्ट्र की "आजादी के अमृत-महोत्सव" का देखिए, श्रीगणेश हो रहा।
जन-जन की चेतना में,गरिमामयी अतीत का नवबोध हो रहा।।
अपना रक्त-स्वेद बहा,परतंत्रता की बेड़ियों को जिन्होंने काट डाला।
आज उन समस्त राष्ट्र-भक्तों का,कृतज्ञ-भाव से स्मरण हो रहा।।
जिस दीर्घ दासता ने लोप कर दी थी,हमसे ही हमारी तेजस्वी गरिमा।
उसकी ही पुनर्प्रतिष्ठा को,नव-उमंग से सृजन का प्रयास हो रहा।।
वसुधैव-कुटुंबकम की युगों से,चली आ रही जो अपनी उदात्त भावना।
सबके मंगल कल्याण हेतु,उसी जयघोष का समवेत आवाह्न हो रहा।।
घर-घर तक सभी के विकास की,गंगा सतत निर्बाध बहती रहे।
जाति,पंथ,सम्प्रदाय से भरा पथ,बंधनों से मुक्त अब समतल हो रहा।।
ज्ञान की जो,अपरिमित थाती रही थी हमारी,युगों-युगों से सदा ही।
उसे ही संवारने,वृहद "राष्ट्र-यज्ञ" का संचालन,प्रति श्वास अब हो रहा।।
नव कीर्ति की स्थापना संग,"स्वर्ण-हंस" बने फिर से, अपना भारत महान।
शांति,प्रेम,त्याग की मधुर धुनों के संचार से,हर हृदय जागृत हो रहा।।