जिस्म की परवाह नहीं ये नया हो जाएगा।
ये तो बता किस जनम तू मेरा हो जाएगा।।
यूँ तो रहता है हर घड़ी तू साथ हर जगह मेरे।
मगर यह एहसास सच्चा कब भला हो जाएगा।।
झीना सा पर्दा हटना तो तय है हमारे बीच से।
जानना ये है वक्त इसका कब पूरा हो जाएगा।।
उम्मीद की लौ टकटकी लगा दर पर तेरे जल रही।
क्या यह चिराग इस बार भी यूँ ही फना हो जाएगा।।
बहुत बेचैनी भी अच्छी नहीं यूँ तो उस्ताद। मिटेंगे फासले जब दिल समूचा उसका हो जाएगा।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday 18 September 2019
गजल:244-दिल समूचा उसका
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