जिंदगी जीने का जो सलीका आ जाए।
मुश्किलों को हराने का तरीका आ जाए।।
हर बात पर यूँ तो रोना कतई ठीक नहीं।
करो ये कि चुनौतियों को रोना आ जाए।।
आसमां पर पंख पसारने की बात तो सही है।
मगर सोचो तभी जो जमीं चलना आ जाए।।
दूसरों को नसीहत तो देना आसान है बड़ा।
बात तब है जब खुद से रिश्ता निभाना आ जाए।।
नए दौर में पहचान है उसी शख्स की।
इल्म जिसे अपना भुनाना आ जाए।।
हुनर तो तभी तुम्हारा उस्ताद मानेंगे हम।
मिलने रकीब जब तुझसे हँसता आ जाए।
@नलिन#उस्ताद
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