तूने जो सराहा तो नाम हो गया।
हर दिल अजीज कलाम हो गया।।
बेशकीमती हर अदा है तेरी।
यूं ही नहीं मैं नीलाम हो गया।।
मस्ती में झूमना हर घड़ी पागलों के जैसे।
निगाहों में कुछ की ये इल्जाम हो गया।।
आंखों से पिलाई तो तूने थोड़ी ही मगर।
मेरे लिए तो वो ही रूहानी जाम हो गया।। चिलमन हटाकर देखा है जबसे।
बहकना नशे में हर गाम*हो गया।।*कदम
लोगों का क्या वो तो छेड़ेंगे हरदम।
उनको तो यही एक काम हो गया।।
रपटीली हैं राहें बड़ी तेरी डगर की।
चलना कहाँ इन पर आम हो गया।।
इनायतों की चर्चा कब तलक हो।
उस्ताद तो तेरा गुलाम हो गया।।
@नलिन#उस्ताद
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Saturday 13 July 2019
187-गजल
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