नेह की जब तुझसे लगन लग गई।
देह मेरी ये झूम के बाँवरी हो गई।।
प्रेम की बात संसार में अनूठी ही है।
आज ये बात मुझे भी ज्ञात हो गई।।
यूँ दिल की तबीयत तब से खिलने लगी।
अपने ही दिल में जब तुझसे भेंट हो गई।।
अभी तो राह में प्रीत की चलना है बहुत। मन-मंदिर में घंटी पर बजनी शुरू हो गई।।
खोला है जबसे दिल उसने मेरे लिए।
मन की मुराद मेरी हरेक पूरी हो गई।।
यूँ इश्क की आग दोनों तरफ बढ़ने लगी।
धीरे ही सही रूह भी मेरी गेरुआ हो गई।।
न कहना रहा कुछ न सुनना ही रहा अब।
यूँ इशारों-इशारों में लो बात सारी हो गई।।
@नलिन@तारकेश
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