लगा है जबसे काजल,आंख में राधा का मेरी।
तभी से प्रीत उर में,कृष्ण की बसने लगी है।।
मिला है जब से,एकतारा हाथ में मीरा का मेरे।
नाम की धुन,बस सांसों में उसकी ही,बजने लगी है।।
चखा है जबसे बेर,जिह्वा ने शबरी का मेरी। छप्पन भोगों की लालसा,फीकी लगने लगी है।।
पढी है जब से,शिला की कहानी अहिल्या कि मैंने।
राम चरणों में निष्ठा,निरंतर अब उपजने लगी है।।
टपके हैं जब से आंसू,वक्षस्थल पर कुंती के मेरे।
दुःखों में भी दारूण,अनुभूतियां सुख की होने लगी है।।
@नलिन#तारकेश
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Wednesday 10 July 2019
लगा है जबसे काजल
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