कृष्ण प्रेम दीवानी मीरा को सादर भेंट
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ अपनी एक रचना
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हमको पीर बना देती है दिल में उठी एक पीर।
नचाती है मीरा की तरह दिल में उठी एक पीर।।
कलेजे में तब एक हूक सी उठती है तेरे। बाॅवला बना देती है दिल में उठी एक पीर
चाहे रहो यार दुनिया के किसी भी कोने में तुम।
मिला ही देती है साजन से दिल में उठी एक पीर।।
सवालों के घेरे में उलझाती है कभी यह हमें।
जवाब भी मगर खुद लाती है दिल में उठी एक पीर।।
रहो चाहे लाख खानाआबाद(गृहस्थी में)से जमाने के लिए।
पर बसा लेती है अलग दुनिया दिल में उठी एक पीर।।
रहता है बड़ा अलग सुरूर मस्ती का "उस्ताद"।
लिखा नयी देती है ग़ज़ल दिल में उठी एक पीर।।
@नलिन #उस्ताद
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