हो कभी फुर्सत तो आना कभी फुर्सत में।
यूॅ होती तो नहीं फुर्सत कभी फुर्सत में।।
उम्र निकल गई यूॅ ही सारी मान मनौवल में। सोचा था करेंगे हम दिली गुफ्तगू कभी फुर्सत में।।
चुनाव खोपड़ी में हों तो मिलते हैं नेता बड़े प्यार से।
जनाब यूॅ लूटने से देश तो होते नहीं कभी फुर्सत में।।
छोड़कर जब बढो कभी गली को उसकी दिल से।
फिजूल है सोचना भी तब तो कभी फुर्सत में।
वो दिन भी क्या थे जो बिताए हमने अपने बचपन में।
मिलता है चैन उसी से होते हैं जब कभी फुसॆत में।।
खोए हो जब दुनियावी रंगीनियों में डूब के।
होगे कहां भला"उस्ताद"तुम कभी फुर्सत में।
@नलिन #उस्ताद
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