कमान किसके हाथ चांडाल चौकड़ी की रही है।
छुपी नहीं बात यह सबको जगजाहिर रही है।।
फूस की झोपड़ी पर रख अंगार बहुत संजीदा होकर।
तपाने को अपना नंगापन उनकी अलाव जल रही है।।
खतरे में है जमहूरियत यह तो फैशन हो गया अब।
मक्कारी दरअसल इनकी इससे ही तो चल रही है।।
होती हो तो हुआ करे आलिम फाजिल इनकी बिरादरी।
बैठ काटते उसी डाल कहो कौन समझदारी रही है।।
बिल में हाथ डाल जब से कुचलने लगे फन "उस्ताद" तुम।
लामबंद गद्दारों की टोली बेनकाब हो रही है।।
@नलिन #उस्ताद
No comments:
Post a Comment