मां सरस्वती,नमन तेरी चरण धूलि हम कर रहे।
दे वरदान मां कादंबरी,ज्ञान से झोली भरी रहे।
मां भारती के लाल हम,अभिमन्यु से घिर रहे।आतताइयों के प्रहार,नित निहत्थे ही सह रहे।
मा इरा,स्वजन ही आज हमसे,छल-छद्म कर रहे।
बुद्धि कुंठित इस दृश्य से,उहापोह हम फंस रहे।
मां हंसगामिनी,राष्ट्रद्रोही षड्यंत्र नित नए रच रहे।
सुधारस के नाम पर वो विषपान सबको करा रहे।
मां वीणा वादिनी,स्वर लय ताल एक सुर हमारा रहे।
ये प्रार्थना इस देवभूमि पर उपकार नित तू करती रहे।
"नलिनासन"विराजती मां वागेश्वरी सम्मुख जब तू रहे।
बुद्धि,विवेक,सत्कर्म से भला क्यों नैराश्य भीतर हमारे रहे।
@नलिन #तारकेश
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