जीने का तुझे जिंदगी,चस्का तो होना चाहिए।
मौत का भी मगर खैरमकदम होना चाहिए।।
नियत सांसे हैं,एक ज्यादा ना एक कम होगी। भरोसा मगर ये तो,हर हाल होना चाहिए।।
डरो न किसी से,अपनी राह बेखौफ बढ़ो।
हां बेशक तुम्हें,गुरुर ना होना चाहिए।।
कमाओ दोनों हाथ दौलत,बुरा इसमें कुछ नहीं।
पर फुटपाथ सोए शख्स का,ख्याल होना चाहिए।।
झरने,फूल,तितली,परिंदे खूब महकाते हैं हमें। बाद हमारे भी रहें, ऐसा तो होना चाहिए।।
भला कैसी डर-झिझक,कैसी शर्मो-हया।
हां प्यार बस,छलरहित होना चाहिए।।
जिंदगी का गणित जनाब,है कहां आसान भला।
गुणा-भाग छोड़ बस,एतबार होना चाहिए।।
वो आएं चौखट हमारी,बिन बुलाए कभी तो। अब ये ख्वाब तो,हकीकत होना चाहिए।।
ना जाने किस मिट्टी के बने हो"उस्ताद"तुम। दर्द सहने का मुकाम कुछ तो होना चाहिए।।
@नलिन #उस्ताद
No comments:
Post a Comment