चीर छाती पहाड़ की,दरिया सा बहना चाहिए।
जज्बा ए जोश नया,हर वक्त बहना चाहिए।।
वो ना करे बात,तुझसे नाराज हो जाए कभी।
मना कर उसे तो,हर हाल देखना चाहिए।।
शमशीर भी करेगी,हर बात पर वार कैसे।
धार को अपनी कलम,तेज रखना चाहिए।।
अलहदा है यहां हर कोई,शक इसमें कोई नहीं।
मिलजुल हम सभी को,गलहार बनना चाहिए।।
आता है सूरज हर रोज,रोशनी से लबरेज भरा।
जिंदगी का अंदाज तो बिंदास रहना चाहिए।।
परेशान ना हुआ करो"उस्ताद"हर किसी बात पर।
एतबार हमें उसका,सदा रहना चाहिए।।
@नलिन #उस्ताद
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