उसे चाहने से पहले खुद को देख लिया होता। आकाश-जमीन का फासला तो देख लिया होता।।
वफ़ा का मुझसे सिला मांगने वाले।
खुद का दामन कभी देख लिया होता।।
गैरों से लिपटकर दिन बिताने वाले।
फुर्सत में आईना देख लिया होता।।
बहुत दूर जा कर तो बहुत खोजा तूने।
कभी तो खुद के भीतर देख लिया होता।।
सब ने कहा और और तूने मान भी लिया।
खुद कभी तो आजमा देख लिया होता।।
जाने कितनी परत दर परत रहता छुपा आदमी।
मुखौटा उतार उसका कभी तो देख लिया होता।।
हाथों की लकीरें पढने वाले अरे नजूमी।
तूने कभी खुद का नसीब देख लिया होता।।
रास्ते जाते हैं इबादत के एक मंजिल।
चल के"उस्ताद"दो कदम देख लिया होता।।
@नलिन #उस्ताद
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